*तिराह अभियान*, 1897-98 के दौरान एक भारतीय सीमा युद्ध था। तिराह देश का एक पहाड़ी इलाका है जो अब पाकिस्तान का संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्र है।
*सारागढ़ी की लड़ाई* तिराह अभियान से पहले 12 सितंबर 1897 को ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य और अफगान आदिवासियों के बीच लड़ी गई थी। यह उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत (अब खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) में हुआ। सिख सैनिकों ने ब्रिटिश भारतीय सेना की ओर से पश्तून ओरकजई आदिवासियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
ब्रिटिश भारतीय दल में 36वीं सिख (अब सिख रेजिमेंट की चौथी बटालियन) के 21 जाट सिख सैनिक शामिल थे, जो एक सेना चौकी पर तैनात थे और उन पर 10000 से 12,000 अफगानों ने हमला किया था। हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में सिखों ने मौत से लड़ने का फैसला किया, जिसे कुछ सैन्य इतिहासकार इतिहास के सबसे महान अंतिम स्टैंडों में से एक मानते हैं। दो दिन बाद एक अन्य ब्रिटिश भारतीय दल ने इस पोस्ट पर पुनः कब्ज़ा कर लिया।
भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट की चौथी बटालियन हर साल 12 सितंबर को इस युद्ध को *सारागढ़ी दिवस* के रूप में याद करती है।